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गीत की भूमि पर ही जन्मा है नवगीत : दीपक

— ग्वालियर साहित्य संस्थान के तत्वावधान में हुआ गीत नवगीत राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
–राष्ट्रीय गीत अलंकरण से नवाजे गए गीतकार, कवियों की काव्यकृतियों का हुआ विमोचन

ग्वालियर। भारतीय गीत परपंरा आदिकाल से ही चली आ रही है, सूर, तुलसी, मीरा व रसखान के पदों एवं आंचलिक लोकगीतों से ही आधुनिक गीत विद्या का विकास हुआ है। निराला के पश्चात छाया वादोन्तर कवियों ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। आज भले ही इसे एक स्वतंत्र विद्या माना जाता है लेकिन यह शाश्वत सत्य है कि गीत की भूमि पर ही नवगीत का जन्म हुआ है। उक्त विचार सुप्रसिद्व गीतकार भोपाल के नरेंद्र दीपक ने व्यक्त किए।

उन्होंने यह बात ग्वालियर साहित्य संस्थान के तत्वावधान में इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मीडिया एक्सीलेंस (आईकॉम) पर आयोजित गीत नवगीत राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यअतिथि कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष डॉ. भगवानस्वरूप चैतन्य ने की। जबकि वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पाण्डेय विशिष्ट अतिथि थे। स्वागत उद्बोधन बृजेंद्र सिंह गुर्जर ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अवधेश चंसोलिया ने तथा आभार व्यक्त कार्यक्रम समन्वयक प्रवीण कम्ठान ने किया।

नवगीत पर विमर्श और काव्यपाठ
डॉ. श्रद्वा ने भारतीय संस्कृति एवं लोक भाषाओं के नवगीतों में प्रयोग को महत्वपूर्ण बताया। डॉ. कल्पना ने ग्वालियर के नवगीत वीरेंद्र मिश्रा एवं डॉ. चैतन्य के नवगीतों को सार्थक रचना बताया। डॉ. बृजेश ने नवगीत के विकल्प एवं सौंदर्य पर गहन चर्चा की। डॉ. आभा ने युगीन समस्याओं एवं जनसरोकार को नवगीत की आवश्यक शर्त बताया। गीत गंगा में नरेंंद्र दीपक, हरीलाल मिलन, रविंद्र रवि, सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाह, डॉ. मुक्ता सिकरवार एवं भगवान स्वरूप चैतन्य ने काव्य पाठ किया।

काव्यकृतियों का हुआ विमोचन
कवियित्री सत्या शुक्ला सुरभि की काव्यकृति सत्यासुरभि, डॉ. अवधेश चंसोलिया की काव्य कृति समय की बात और पंडित आजाद रामपुरी पर एकाग्र लोक मंगल पत्रिका के विशेषांक का विमोचन एवं लोकार्पण किया गया।

इन्हें किया गया सम्मानित
राष्ट्रीय संगोष्ठी में नरेंद्र दीपक भोपाल को गीतयात्री वीरेंद्र मिश्र राष्ट्रीय गीत अलंकरण, हरीलाल मिलन कानपुर को पंडित दामोदर शर्मा स्मृति राष्ट्रीय गीत अलंकरण, राजकुमारी रश्मि को डॉ. माधुरी शुक्ला स्मृति राष्ट्रीय नवगीत अलंकरण, सत्या शुक्ला सुरभि को (महाप्रयाण उपरांत) श्रीमती माया वर्मा स्मृति राष्ट्रीय कविता अलंकरण तथा डॉ. अवधेश चंसोलिया को कविवर बैजू कानूनगो स्मृति राष्ट्रीय नवगीत अलंकरण से सम्मानित किया गया।

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