ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) में जिस तरीके से निवेशकों ने शिवराज पर अपना भरोसा जताया है यदि उस विश्वास को उन्होंने कायम रखा तो 15.42 लाख करोड़ के निवेश से विकास की नई इबारत लिखी जा सकती है। करीब तीन लाख लोगों को रोजगार मुहैया होगा, जो तरक्की की राह को आसान कर समृद्धि की ओर ले जाएगा
अडानी, अंबानी, टाटा, बिड़ला, डालमिया, सिंघानिया, गोदरेज, जिंदल और पिरामल देश में उ़द्योग जगत के ये वो नाम हैं, जो जिस बंजर भूमि पर विकास का बीज रोप दें वहां समृ़द्ध की फसल लहलहाने लगती है। विकसित भारत के लिए विकसित मध्य प्रदेश की अवधारणा को लेकर इंदौर में आयोजित की गई सातवीं ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में उद्योग जगत के धन-कुबेरों के साथ ही देश-’विदेश के अनेक निवेशकों का संगम हुआ। समिट में 10 पार्टनर देश थे। 84 देशों के 447 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि, 401 अंतरराष्ट्रीय बायर्स सहित जी-20 देशों सहित अन्य देशों के 5 हजार प्रतिनिधियों ने निवेश के लिए प्रदेश में कदम रखा। जहां 2600 से ज्यादा बी-टू-बी और 200 से ज्यादा बी-टू-जी मीटिंग हुईं।
समिट में देश ही नहीं दुनियाभर के जाने-माने उद्यमी देश के दिल मध्य प्रदेश में अपना निवेश करने के लिए बेकरार नजर आएं। उन्होंने समिट में आयोजित रिवर्स बायर-सेलर मीट (आरबीएसएम) में अपने आसमानी इरादे जाहिर किए। सरकार ने भी उद्योगपतियों के लिए दरियादिली दिखाई। उन पर अटूट विश्वास जताकर हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया। अब जिम्मेदारी बनती हैं निवेशकों की, कि वे इस विश्वास की कसौटी पर खरें उतरें। देश-विदेश के निवेशक इस बात से भलिभांति परिचित हैं कि प्रदेश अब विकास की उड़ान भर रहा है। 2026 तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था 400 अरब डॉलर बढ़ने का अनुमान है। कारण स्पष्ट है कि नेचुरल गैस एथेनॉल मिश्रण में प्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है। भारत सरकार की मंशा है कि आने वाले वर्षों में पेट्रोल और डीजल में 20 प्रतिशत तक एथेनॉल का मिश्रण किया जाए। ऐसे में कोल बेड मीथेन (सीबीडी) के उत्पादन में प्रदेश देश में शीर्ष पर है।
तो पर्यटन के क्षेत्र में चीता रफ्तार से विकास हो रहा है। वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के क्षेत्र में प्रदेश चीता स्टेट है। यहां 11 नेशनल पार्क, 3 यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेल सहित 24 सेंचुरी हैं। ऐसे में निवेश के लिए भविष्य की बेहतर जमीन तैयार करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसे दृष्टिगत रखते हुए जाने-माने उद्योगपतियों ने प्रदेश में भारी निवेश की मंशा जाहिर की है। गोदरेज इंडस्ट्री के नादिर गोदरेज रियल एस्टेट में निवेश की चाहत रखते हैं। अदाणी गु्रप के एमडी प्रणव अदाणी ने सौर, पवन ऊर्जा, सीमेंट, फूड पार्क और लॉजिस्टिक पार्क में 60 हजार करोड़ के निवेश की बात कही। अंबानी ग्रुप के डायरेक्टर निखिल मेसवानी 40 हजार करोड़ का निवेश, एनर्जी सस्टेनेबिलिटी , ऑप्टीकल फाइबर, 5जी रिटेल में बिड़ला ग्रुप के कुमार मंगलम बिड़ला 15 हजार करोड़ का निवेश, फाइबर, केमिकल, सीमेंट और सर्विस सेक्टर में तो जेएसडब्ल्यू ग्रुप के पार्थ जिंदल, 4500 करोड़ का निवेश, स्टील और सीमेंट में करना चाहते हैं।
अवाडा ग्रुप के चेयरमैन विनीत मित्तल सौर ऊर्जा पर 1200 करोड़ खर्च करने को तैयार हैं। जबकि टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नए होटल, आईटी और पॉवर सप्लाय चेन में निवेश करना चाहते हैं। उद्योग जगत की इन हस्तियों की नजर में मध्य प्रदेश भारत का उभरता हुआ हीरा है। वैकल्पिक ऊर्जा को लेकर निवेशकों ने गजब का उत्साह दिखाया है। अदाणी, अवाडा, जीएआर, सिद्धार्थ इंफ्राटेक, रिन्यू विंड पॉवर, टोरेंट, कांडला एग्रो, वीरा पॉवर, एव टाटा जैसी कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई है। करीब 60 कंपनियों ने मध्य प्रदेश के 16 जिलों में 21 हजार 834 मेघावाट वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन के लिए 2 लाख 12 हजार 611 करोड़ रुपए के निवेश की बात कही है। इनसे 35 हजार 951 लोगों को रोजगार हासिल हो सकेगा। नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में 16 हजार करोड़ के निवेश के एमओयू साइन किए गए हैं। केंद्र सरकार ने 500 गीगावॉट के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उसकी करीब 50 फीसदी आपूर्ति मध्य प्रदेश करने की तैयारी कर रहा है। हालांकि इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि अनेक उद्योगपतियों ने प्रदेश की प्राकृतिक संपदा और संसाधनों का जमकर दोहन किया है और रोजगार के नाम पर धोखा दिया है। स्थानीय लोगों के सपने चकनाचूर हुए हैं साथ ही उनको ठेस भी पहुंची है। इससे उद्योगपतियों की साख को भी बट्टा लगा है|
बावजूद इसके उम्मीदों की नई सुबह के साथ इस समिट में प्रदेश के विकास के नए सपने देखे गए हैं। प्रदेश में निवेश को लेकर धन-कुबेरों ने जो इच्छा शक्ति जाग्रत की है यदि वह वास्तविक रूप से जमीन पर आत्मसात होती है तो कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि देश ही नहीं विदेश में भी प्रदेश की विकास की तस्वीर कुछ अलग होगी। निवेशकों के आसमानी इरादों को जब धरातल मिलेगा तो बात ही कुछ और होगी। ऐसे में अब लाजमी हो जाता है कि जिस तरह से निवेशकों के लिए प्रेम के रेड कॉर्पेट पर पलक पांवड़े बिछाकर हृदय की गहराईयों से उनका सम्मान कर उनके लिए विभिन्न प्रकार की छूट के साथ ही हर संभव सहयोग का जो भरोसा दिया है अब निवेशक उसका सम्मान करते हुए विकास का बीज बोकर समृद्धि की फसल उगाएं। ताकि प्रदेश का भविष्य बेहतर होगा साथ ही यहां के नागरिकों का जीवन। घोषणाओं और वादों के नेक इरादों ने यदि मूर्त रूप लिया तो निश्चित तौर पर प्रदेश विकास की नई इबारत लिखेगा। तय मान कर चलिए यदि आसमानी इरादों को धरातल पर उतारकर विकास की जमीन दे दी गई तो फिर प्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलते देर नहीं लगेगी।