मौजूदा परिवेश में बचपन और किशोरावस्था के दौरान टेलीविजन वीडियो गेम मोबाइल फोन और टैबलेट के सामने अत्यधिक समय बिताना सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। इनके ज्यादा उपयोग से स्थूल जीवनशैली भी बन जाती है। जो बच्चे ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताते हैं उनमें स्थिरिता का जोखिम अधिक होता है। रिसर्च के अनुसार बचपन में फिजिकल एक्टिविटी में कमी यंग एज में हार्ट डैमेज के खतरे को बढ़ा देता है।
नई दिल्ली। मोबाइल फोन, टेलीविजन या टैबलेट जैसे डिवाइस के स्क्रीन पर बच्चों के ज्यादा समय देने को लेकर हाल के वर्षों में व्यापक रिसर्च हुए हैं। इनके निष्कर्ष इस बात का इशारा करते हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम विकास और आपसी मेलजोल बढ़ाने में बाधक बनते हैं।
ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे हमें अपने परिवेश से अलग कर देते हैं और उनकी एक लत सी लग जाती है। उनसे छुटकारे के लिए अक्सर मनोचिकित्सकों की सलाह की भी जरूरत होती है।
बच्चों में बढ़ रहा हार्ट का खतरा
बचपन और किशोरावस्था के दौरान टेलीविजन, वीडियो गेम, मोबाइल फोन और टैबलेट के सामने अत्यधिक समय बिताने से एक गतिहीन या स्थूल जीवनशैली भी बन जाती है। वैसे भी यह बात पहले से ही कही जाती रही है कि जो बच्चे ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताते हैं, उनमें स्थिरिता का जोखिम अधिक होता है।
यूरोपियन सोसायटी आफ कार्डियोलाजी कांग्रेस 2023 में कुओपियो के पूर्वी फिनलैंड विश्वविद्यालय में एंड्रयू एग्बाजे के नेतृत्व में हुए रिसर्च के अनुसार, बचपन में फिजिकल एक्टिविटी में कमी यंग एज में हार्ट डैमेज के खतरे को बढ़ा देता है।
ऐसे किया गया रिसर्च
शोध में नौ के दशक के बच्चों का डाटा लिया गया। इसमें 1990 और 1991 में पैदा हुए 14,500 शिशुओं के वयस्क जीवन तक उनके स्वास्थ्य और जीवनशैली पर नजर रखी गई। अध्ययन में शामिल किए गए बच्चों में से 766 (55 प्रतिशत लड़कियों और 45 प्रतिशत लड़कों को) को 11 साल की उम्र में एक स्मार्ट घड़ी पहनने के लिए कहा गया, जिससे सात दिनों तक उनकी गतिविधि पर नजर रखी गई। 15 व 24 साल की उम्र में इसे दोहराया। फिर प्रतिभागियों के इकोकार्डियोग्राफिक का विश्लेषण किया गया।
बढ़ता है दिल का वजन
रिसर्च से पता चला कि 11 साल की उम्र में बच्चे रोजाना औसतन 362 मिनट तक एक ही पोजीशन में थे। किशोरावस्था (15 वर्ष) में यह बढ़कर प्रतिदिन 474 मिनट हो गया और फिर वयस्कता (24 वर्ष) में प्रतिदिन 531 मिनट हो गया। अध्ययन के 13 वर्षों में गतिहीन समय में दैनिक आधार पर औसतन 2.8 घंटे की बढ़ोतरी हुई। सबसे गंभीर बात यह कि इकोकार्डियोग्राफी में युवा लोगों के दिल के वजन में वृद्धि दर्ज की गई।
— आनंद पाण्डेय
