सियासी घमासान में सत्ता और संगठन में मचा तहलका, भाजपा को उठाना पड़ेगा नुकसान?कांग्रेस बनी मूकदर्शक
मध्य प्रदेश में आने वाले महीनों में विधान सभा के चुनाव होने हैं। बेशक अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है लेकिन सूबे की सियासत में संग्राम शुरू हो गया है। गुना जिले की चाचौड़ा विधान सभा सीट अभी से चर्चा का विषय बन गई है। कारण इस बार यहां चुनावी रण खासा दिलचस्प होने वाला है। वजह स्पष्ट है कि दो अफसरों की बीवियों के बीच सियासी जंग शुरू हो गई है। दोनों ही भाजपा की नेत्रिया हैं, हालांकि अब एक ने पार्टी को अलविदा कर दिया है, ऐसे में भाजपा सकते में है। क्योंकि पार्टी ने एक को पहले ही प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जानिए आखिर कौन हैं ये दोनों नेत्रियां जिनकी वजह से होगा इस बार रोचक मुकाबला!
भोपाल। वैसे तो आईएएस, आईपीएस और आईआरएस सहित अनेक अफसर राजनीति से दूरी बनाकर चलते हैं। हालांकि सेवानिवृत होने पर उन्हें भी राजनीति भाने लगती है। लेकिन इस बार मामला कुछ हटकर है। यहां अफसर नहीं बल्कि उनकी बीवियों में टकराव बना हुआ है। चुनाव की घोषणा नहीं हुई है लेकिन अफसरों की बीवियों की तनातनी के कारण सूबे की सियासत में तूफान ला दिया है। एक राजनीति की खिलाड़ी नजर आती हैं तो दूसरी थोड़ी सौम्य दिखती हैं। एक की उम्र 47 वर्ष है, तो दूसरी की उम्र महज 33 साल। एक के पति रिटायर्ड आईपीएस हैं तो दूसरी आईआरएस अधिकारी की पत्नी हैं। दोनों की जाति एक ही है, दोनों गुना जिले की निवासी हैं, दोनों एक ही विधानसभा क्षेत्र चाचौड़ा से आती हैं। दोनों ही आमने-सामने से जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ चुकी हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में भी दोनों भिड़ती हुई दिख रही हैं। हम बात कर रहे हैं ममता मीणा और प्रियंका मीणा की। ममता पूर्व में बीजेपी से विधायक रही हैं, लेकिन वर्ष 2018 में वे हार गई थीं। इस बार पार्टी ने ममता का टिकट काटकर प्रियंका को दे दिया है। इसी बात से नाराज ममता ने प्रदेश बीजेपी कार्यालय में माथा टेककर इस्तीफा दे दिया। अब वे आम आदमी पार्टी में शामिल हो गई हैं। आइए आपको दोनों से जुड़ी दिलचस्प कहानी सुनाते हैं।
कौन हैं ममता मीणा?
47 साल की ममता मीणा के पति रघुवीर सिंह मीणा भारतीय पुलिस सेवा के सेवा निवृत्त अफसर हैं। ममता की राजनीति नई नहीं है। ममता मीणा को पहली बार 2008 में गुना जिले के चाचौड़ा से मैदान में उतारा गया था। वह कांग्रेस के शिवनारायण मीणा से 8,022 मतों से हार गई थीं। 2013 में, ममता ने शिवनारायण को 34,901 मतों के अंतर से हरा दिया। लेकिन 2018 में दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह से महज 9797 वोटों से चुनाव हार गई थीं। वे वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं। उन्होंने भाजपा की वर्तमान प्रत्याशी प्रियंका मीणा को चुनाव हराया था।
अब जानें प्रियंका मीणा को
ममता मीणा की भाषा में कहें तो प्रियंका मीणा पैराशूट उम्मीदवार हैं। उनके पति प्रदुम्न मीणा भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अफसर हैं। दिल्ली में पदस्थ हैं। प्रियंका ने इसी 27 फरवरी 2023 को ही भाजपा की सदस्यता ली है। वे पूर्व में ममता मीणा से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार चुकी हैं। हालांकि वे अपने क्षेत्र में खासी लोकप्रियता रखती हैं। शायद यही कारण है कि पिछले महीने भाजपा ने उन्हें चाचौड़ा से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
क्यों दी पैराशूट एंट्री?
क्षेत्रीय नागरिक बताते हैं कि प्रियंका सौम्य स्वभाव की हैं, वे निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना चुकी थीं, इसलिए जनता उन्हें पसंद कर रही है। अब भाजपा में हैं तो इसका लाभ मिलेगा। इसलिए भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बना दिया, जबकि पूर्व विधायक ममता मीणा की कार्यशैली विवादित रही है।
ममता का विवादों से नाता
ममता मीणा जब विधायक थीं, तब मध्य प्रदेश के बड़े बिल्डर दिलीप बिल्डकॉन के एक कर्मचारी को बंधक बनाकर पिटाई की गई थी। पिटाई के आरोप विधायक ममता मीणा पर लगे थे, इससे सीएम शिवराज खफा हुए थे। साल 2022 में प्रियंका मीणा के घर अज्ञात तत्वों ने हमला किया था। प्रियंका ने इसका आरोप भी ममता के पति रिटायर्ड आईपीएस रघुवीर सिंह मीणा पर लगाया था। मीणा जब एसपी थे, तब उनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में शिकायत भी हुई थी।
कांग्रेस को फायदा
चाचौड़ा में अब बीजेपी दो गुटों में बंट गई है। एक गुट ममता मीणा के पक्ष में खड़ा दिख रहा है, तो दूसरा अधिकृत प्रत्याशी प्रियंका की टीम में शामिल है। फिलहाल यहां से दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह मौजूदा विधायक हैं। इस बार भी उन्हें ही टिकट मिलने का अनुमान है। चुनाव में बीजेपी की प्रियंका मीणा, आम आदमी पार्टी से ममता मीणा और कांग्रेस से लक्ष्मण सिंह में त्रिकोणीय संघर्ष होगा। ममता और प्रियंका के टकराव में कांग्रेस को लाभ मिलना तय है। आपको बता दें कि चाचौड़ा में 65 हजार से ज्यादा मीणा मतदाता हैं। उन वोटों विभाजन कांग्रेस के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। जबकि भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।