भारतीय रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपए के नोट को चलन से बाहर कर दिया है। इसे बैंक में जमा करने के लिए चार माह की अवधि का समय दिया गया है। लेकिन इस नोट के बंद होने से देश की अर्थव्यवस्था और शेयर मार्केट पर क्या असर पड़ेगा, इसे जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर …
सांध्य समाचार डिजिटल। वर्ष 2016 में भारत सरकार की ओर से की गई नोटबंदी के बाद दो हजार रुपए का नोट जारी किया गया था। तब सरकार का दावा था कि बड़े नोट की छपाई जल्दी होगी और पुराने नोटों को नए नोटों से आसानी से बदला जा सकेगा। इसका परिणाम यह निकला कि वर्ष 2017 में सर्वाधिक मात्रा में दो हजार के नोट ही चलन में रहे।
500 और एक हजार रुपए के नोट के बंद होने के बाद अचानक दो हजार रुपए के नोट के जारी किए जाने पर उस वक्त अनेक सवाल खड़े हुए थे। तमाम तरह की बातें हुई थीं। उनके एक यह थी कि कालाधन रोकने और एक ही जगह धन जमा न हो इसके लिए सरकार ने इसमें जीपीएस चिप भी लगाया है। लेकिन समय के साथ ये साफ हो गया है कि इसमें चिप नहीं है। फिर कुछ समय के बाद दो हजार का नोट बाजार में चलन में कम हो गया। न तो एटीएम में नजर आता था और न ही बैंक देती थीं।
अब अचानक चलन से बाहर
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने दो हजार के नोट को सर्कुलेशन से बाहर कर दिया है। साथ ही बैंक द्वारा कहा गया है कि नागरिक 30 सितंबर तक इन नोटों को बैंक जाकर बदल सकते हैं। इसमें भी शर्त है कि एक बार में अधिकतम 20 हजार रुपये या 10 नोट ही बदले जा सकते हैं।
देश की कुल करेंसी का 11 प्रतिशत
भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है 31 मार्च 2018 तक देश में 6.73 लाख करोड़ रुपये के दो हजार के नोट चलन में थे, जो कि इसका सबसे उच्चतम स्तर था। 31 मार्च 2023 तक देश में 3.62 लाख करोड़ रुपये के नोट ही चलन में थे, जो देश की कुल करेंसी का 10.8 प्रतिशत था।
अब क्या होगा इसका असर ?
अर्थ व्यवस्था के जानकारों का मानना है कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछ खास असर नहीं होगा, क्योंकि लोग पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में डिजिटल पेमेंट का उपयोग करने लगे हैं। वहीं, कुछ इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा मान रहे हैं क्योंकि दो हजार के नोट का इस्तेमाल कालाधन छुपाने के लिए किया जाता था। इसे बंद करने से अधिक पैसा बाजार में आएगा और शेयर बाजार को भी इसका फायदा मिल सकेगा। भारतीय रिजर्व बैंक के इस कदम से आम आदमी को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा।